मेरे गीत, मेरा संगीत
मेरे होठों से निकली आह ही
मेरे गीत हैं
रूह से निकली तान ही
संगीत है।
धड़कनों में बजता एक
साज़ है ।
साँसों की सरगम ही मेरी
आवाज़ है।
नसों में बहती नदिया ही मेरी
चाल है।
पलकों की झपकन ही
लय ताल है।
कहीं देख कोई सकता नहीं
मुझे स्पष्ट ही
पूरी मैं बस दिखती यहीं ।
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल
अंतर मे छुपा दर्द सदा यू ही मुस्काया करता है
जवाब देंहटाएंबहने ना देता अश्को को बंद पलक कर देता है ।।
(बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा)
आपके स्नेह के लिए सादर आभार ।
हटाएंवाह्ह्ह...क्या खूब लिखा आपने मन के भावों को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना पल्लवी जी।
प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार प्रिय श्वेत जी
हटाएंश्वेता जी
हटाएंमेरे होठों से निकली आह ही
जवाब देंहटाएंमेरे गीत हैं
सुंदर मन का गीत....
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय पुरुषोत्तम जी ।
हटाएंमन से स्वतः बहता ये गीत बहुत अच्छा लगा प्रिय पल्लवी जी | सस्नेह --
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय रेनू जी ।
हटाएंअत्यंत सुन्दर मनोभाव.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्दों का संयोजनपल्लवी मैम
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद । सुधा मैम
हटाएं...क्या खूब लिखा आपने
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदय।
हटाएंधन्यवाद नीतू जी
जवाब देंहटाएं