तेरी यादों की खुशबू
जब चूमती थी
मेरे जेहन को
उस रुमानियत में तेरे
आने से खलल पड़ता था।
चाँद की गोलाई पर
तेरे अक्स के उभरते ही
पलकों के झपक जाने से
खलल पड़ता था।
पत्तों की खड़खड़ाहट के
सन्नाटे में बदल जाने से
तेरे कहीं रुक जाने की
बदख्याली का डर रहता था।
और आज जब आँखें खोल
भूलना चाहती हूँ तुझको
तेरी यादों के ठहर जाने से
खलल पड़ता है।
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल
वाह्ह्ह..।।लाज़वाब लिखा आपने पल्लवी जी...👌👌
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता जी।
हटाएंबेहतरीन सृजन
जवाब देंहटाएंवो कलम हमें दे दीजिए
हम भी कोशिश करेंगे..
गूगल फॉलेव्हर का गैजेट लगाइए
सादर
आदरणीया। आपके इन अमूल्य उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ ।आपकी कलम के आकर्षण ने हम जैसेअनेक रचनाकारों को पहले से ही बाँध कर रखा है ।
जवाब देंहटाएंसादर नमन।
आँखे बंद करते ही
जवाब देंहटाएंतेरी यादों की खुशबू
जब चूमती थी
मेरे जेहन को
उस रुमानियत में तेरे
आने से खलल पड़ता था।
आपकी प्रभावी लेखनी ने सच मे सोच पर खलल डाल दिया है। लेखनी हो तो ऐसी। बहु बहुत बधाई पल्लवी जी।
आदरणीय पुरुषोत्तम जी, आपका सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना पल्लवी मैम
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा मैम ।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १९ फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय श्वेता जी, रचना को स्थान देने के लिए निर्णायक मंडल काहृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ ।
हटाएंलाज़वाब लिखा आपने अति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नीतू जी ।
हटाएंवाह!!अति सुंंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदया ।
हटाएंयादें अक्सर परेशान करती हैं पर सिल को सालती भी हैं ...
जवाब देंहटाएंजाती नहि हैं भुलाने से ये यादें ...
धन्यवाद आदरणीय दिगम्बर जी ।
हटाएंयादों में विचरण करते मन में किसी की छवि कभी विस्मृत नहीं होती | यादों का खूबसूरत खलल और बेहतरीन लेखन !!!!!
जवाब देंहटाएंरेनू जी ,इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार
हटाएंअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
जवाब देंहटाएंवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
जी अवश्य ।रचना पसंद करने के लिए सादर आभार।
हटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 10/04/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आदरणीय ,
हटाएंरचना को शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ ।
सादर ।