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शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

यादों का सफ़र




आँखे बंद करते ही 
तेरी यादों की खुशबू 
जब चूमती थी
 मेरे जेहन को 
उस रुमानियत में तेरे 
आने से खलल पड़ता था। 

चाँद  की गोलाई पर 
तेरे अक्स के उभरते ही
पलकों के झपक जाने से 
खलल पड़ता था।  

पत्तों की खड़खड़ाहट के
सन्नाटे  में बदल जाने से 
तेरे कहीं  रुक जाने की 
बदख्याली का डर  रहता था। 

और आज जब आँखें  खोल 
भूलना चाहती हूँ  तुझको 
तेरी यादों के ठहर जाने से
 खलल पड़ता है। 

पल्लवी गोयल

चित्र साभार गूगल 

21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह..।।लाज़वाब लिखा आपने पल्लवी जी...👌👌

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता जी।

      हटाएं
  2. बेहतरीन सृजन
    वो कलम हमें दे दीजिए
    हम भी कोशिश करेंगे..
    गूगल फॉलेव्हर का गैजेट लगाइए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया। आपके इन अमूल्य उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ ।आपकी कलम के आकर्षण ने हम जैसेअनेक रचनाकारों को पहले से ही बाँध कर रखा है ।
    सादर नमन।

    जवाब देंहटाएं
  4. आँखे बंद करते ही
    तेरी यादों की खुशबू
    जब चूमती थी
    मेरे जेहन को
    उस रुमानियत में तेरे
    आने से खलल पड़ता था।
    आपकी प्रभावी लेखनी ने सच मे सोच पर खलल डाल दिया है। लेखनी हो तो ऐसी। बहु बहुत बधाई पल्लवी जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय पुरुषोत्तम जी, आपका सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. लाज़वाब लिखा आपने अति सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय श्वेता जी, रचना को स्थान देने के लिए निर्णायक मंडल काहृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  8. यादें अक्सर परेशान करती हैं पर सिल को सालती भी हैं ...
    जाती नहि हैं भुलाने से ये यादें ...

    जवाब देंहटाएं
  9. यादों में विचरण करते मन में किसी की छवि कभी विस्मृत नहीं होती | यादों का खूबसूरत खलल और बेहतरीन लेखन !!!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रेनू जी ,इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार

      हटाएं
  10. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  11. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 10/04/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय ,
      रचना को शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ ।
      सादर ।

      हटाएं