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शुक्रवार, 2 मार्च 2018

ऐ दिल


अब क्यों ऐ  दिल तू बोलता वह बात 
क्यों खोलता अपने कपाट। 

 जब भी कोशिशें कोई मुझसे हुई 
तूने आँखें जोर से भींच दीं। 

अक्स न कोई उनमें आने दिया 
अश्कों को भी जबरन सिया। 

मुस्कराहटें बाँटीं मुझे लाचार  कर
हज़ार चोटें खाईं खुद को मारकर। 

तन्हां रहा तू खुद में डूबा रहा 
और मुझे उस भीड़ में चस्पा किया। 

दिमाग ने  बीच राह में छोड़ दिया 
लाठी बन तू राह पर फिरता रहा। 

आज 'वह' दिख ज़रा सा क्या गया 
तू खुद से खुद को छोड़ चला ?

देखता रहा तू मंज़र आज तक 
राह की रवानगी से बेराह तक। 

आज जाता है तो फिर से सोच ले  
गुमशुदा उदास न लौटे उस ओर  से। 

पल्लवी गोयल 
(चित्र साभार गूगल  )


29 टिप्‍पणियां:

  1. आज जाता है तो फिर से सोच ले  
    गुमशुदा उदास न लौटे उस ओर  से। 
    वाह कितने सुंदर भाव.
    खूबसूरत सृजन .
    बधाई स्वीकारें पल्लवी मैम

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    उत्तर
    1. इस प्यार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सुधा मैम ।

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  2. अब क्यों ऐ दिल तू बोलता वह बात
    क्यों खोलता अपने कपाट।
    मेरे मन के लायक रचना...शुक्रिया यू ही आप सदा लिखती रहना। शुभकामनाएँ।

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    उत्तर
    1. आदरणीय,
      आपके प्रोत्साहन के लिए ह्रदयतल से आभार है ।
      सादर ।

      हटाएं
  3. दिल के कपाट खुले रहें तो दर्द भी निकल जाता है और ख़ुशी भी अंदर आ जाती है ... सुंदर रचना है ...

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  4. कमजोर कपाटो को
    तोड़ दिल डोल गया
    भरे ठसाठस मन के भावो
    को आज दिल फिर बोल गया
    रुक ना सका दिल कमजोर
    कपाटो को तोड़ गया
    (आदरणिया पल्वी गोयल जी
    ये कमजोरी हर दिल की है)

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    उत्तर
    1. आदरणीय
      आपका ब्लॉग पर स्वागत है । आपकी इन पंक्तियों ने रचना को सम्मान प्रदान कर दिया है ।यूँ ही स्नेह बनाये रखियेगा ।
      सादर ।

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  5. आज 'वह' दिख ज़रा सा क्या गया
    तू खुद से खुद को छोड़ चला ?- क्या बात है!!!!!!!!
    मन को भावपूर्ण उद्बोधन | मन कितना ही खुद को रोके और मसोसे पर 'वे ' दिख गये ये तो अपना कहाँ रहता है ?सुंदर रचना प्रिय पल्लवी जी | सस्नेह शुभकामना | बहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग |

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    1. प्रिय रेनू जी, ब्लाग पर आपका स्वागत है ।अनेक ब्लॉगों की रचनाएँ पढ़ने के दौरान उनपर आपकी प्रतिक्रियाएँ पढ़ने का सौभाग्य मिला । रचना की विस्तारपूर्वक व्याख्या व उसकी प्रशंसा करना आपका एक विशेष गुण है जिसने मन मोह लिया है।रचना को पसंद करने एवं प्रतिक्रिया करने के लिए हृदयतल से आभारी हूँ ।
      स्नेह ।

      हटाएं
  6. भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति. कृप्या अपने ब्लॉग पर follower का विजेट भी जोड़े और साथ में सादर आग्रह है कि मेरे ब्लॉग www.rakeshkirachanay.blogspot.in को follow करें.

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    उत्तर
    1. आदरणीय राकेश जी, प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद।मैंने ब्लॉग का अनुसरण किया ।मैंने Follower विजेट जोड़ रखा है जो डेस्कटॉप पर तो दिख रहा है पर मोबाइल में नहीं ।प्रयासरत हूं कृपया मार्गदर्शन करें ।
      सादर ।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ५ मार्च २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता जी नमस्कार ।रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।

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  8. बहुत खूब लिखा आपने पल्लवी जी ....हर पंक्ति
    अपने आप मैं सम्पूर्ण

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  9. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है अनुराधा जी ।रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद ।
      सादर ।

      हटाएं
  10. आदरणीया
    रचना को सम्मान देने के लिए हृदय से आभार है आपका ।देर से प्रतिक्रिया देने के लिए माफ़ी चाहती हूँ ।
    सादर ।

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  11. रचना पसंद करने के लिए आभार शुभा जी ।
    सादर ।

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