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शुक्रवार, 15 जुलाई 2022

इक ख्वाब परेशाँ करता है

 इक ख्वाब परेशाँ करता है

सच हो जाता तो 

क्या अच्छा होता।

दिल के हुए 

हज़ार टुकडे

जुड़ जाते तो 

क्या अच्छा होता।

न फिक्र किसी  

की होती हमको

न दर्द कहीं 

पर होता।

इक ख्वाब परेशाँ करता है

सच होता तो क्या अच्छा होता।

पल्लवी गोयल

गुरुवार, 9 जून 2022

विषपान करो !

 


विषपान करो !

जग दाता है ,

ना समझो 

वह अमृत देगा ।

जीना है 

उसके हक में  

मरना वह 

तुमको देगा।

नीलकंठ  बन 

धरो गले में ,

दिल दिमाग 

से दूर रखो।

व्यक्ति, व्यक्ति 

लालच देगा,

प्रेम ,झूठ का 

धंधा होगा ।

फिर आशा की 

बेल का झुलसा, 

सूखा फाँसी का 

फंदा होगा।

जीना खुद का 

खुद पर रखो।

जग को बस 

उससे दूर रखो।

याद रखो तुम 

अपने में पूरे।

विश्वास रखो 

और बढ़े चलो।

पल्लवी गोयल

शुक्रवार, 13 मई 2022

इंसान ?

 रिसता रहता जब तक 

दिलों में रिश्ता कहलाता है।

सूखे दिलों का मेल 

पराया बन जाता है।


साथी के कंधे पर झुकना 

विश्वास कहलाताहै। 

झुके पर आघात 

विश्वासघात  बन जाता है।


टूटे को और न तोड़ने देने का

 प्रयास प्रतिरोध कहलाता है।

तोड़ने वाले को तोड़ देना 

प्रतिशोध बन जाता है।


लड़खड़ाए को लकड़ी देना

 सहारा कहलाता है।

 उसकी गठरी हथिया लेने वाला 

कपटी बन जाता है।


पहले नियम पर चलने वाला 

व्यक्ति इंसान कहलाता है

दूसरे नियम को अपनाने वाला 

सांसारिक बन जाता है।


सांसारिक इंसान न बने 

वह सफल कहलाता है।

इंसान इंसान ही रहे 

वह मूर्ख बनता जाता है।

पल्लवी गोयल