नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
फ़ॉलोअर
बुधवार, 28 फ़रवरी 2018
शनिवार, 17 फ़रवरी 2018
यादों का सफ़र
तेरी यादों की खुशबू
जब चूमती थी
मेरे जेहन को
उस रुमानियत में तेरे
आने से खलल पड़ता था।
चाँद की गोलाई पर
तेरे अक्स के उभरते ही
पलकों के झपक जाने से
खलल पड़ता था।
पत्तों की खड़खड़ाहट के
सन्नाटे में बदल जाने से
तेरे कहीं रुक जाने की
बदख्याली का डर रहता था।
और आज जब आँखें खोल
भूलना चाहती हूँ तुझको
तेरी यादों के ठहर जाने से
खलल पड़ता है।
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल
सदस्यता लें
संदेश (Atom)