अजनबी !तुम कहाँ से आए
खिल मुस्कान ,तनिक मुस्काए
एक सिरे की बात बहुत थी
पकड़ पकड़ ऊपर चढ़ आए
पकड़ पकड़ ऊपर चढ़ आए
कहाँ कहाँ की कही कहानी
कहाँ कहाँ की बातें खोदीं
कहाँ कहाँ की बातें खोदीं
झोली पर झोली खोली
बातों की होली खेली
बातों की होली खेली
बातों का बन तेज़ बवंडर
इधर-उधर यूँ ही मॅडराए
इधर-उधर यूँ ही मॅडराए
लहर लहर कर भहर गए तुम
भहर उठे फिर नज़र न आए
भहर उठे फिर नज़र न आए
तुम ऐसे ही हो या बने आज हो
जीवन के फिरते सुर साज हो
जीवन के फिरते सुर साज हो
बातें भोली या मतवारी
कुछ अनोखी, कुछ न्यारी
कुछ अनोखी, कुछ न्यारी
बात रस का विशुद्ध मज़ा
आज तुमको लख जान लिया
आज तुमको लख जान लिया
बातूनी का अर्थ,उदाहरण
दोनों का ही स्वाद चखा
दोनों का ही स्वाद चखा
हे अजनबी तुम अजनबी ही
रहो ,तुमको न जानूंगी मैं
रहो ,तुमको न जानूंगी मैं
इस शब्द के अर्थ के भीतर
छिपा जीवित मानूंगी मैं ।
पल्लवी गोयल
छिपा जीवित मानूंगी मैं ।
पल्लवी गोयल