दुनिया के इस रंगमंच पर
खेले गये अंक कई।
दुख से भरी गाथाओं से
आँसू झर- झर गये कई।
कुछ लोगों ने देखे केवल
जुड़कर आए साथ कई।
जिन्होंने हाथ बढ़ाए आगे
बाद में किए सौदे कई।
पल्लवी गोयल
नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
दुनिया के इस रंगमंच पर
खेले गये अंक कई।
दुख से भरी गाथाओं से
आँसू झर- झर गये कई।
कुछ लोगों ने देखे केवल
जुड़कर आए साथ कई।
जिन्होंने हाथ बढ़ाए आगे
बाद में किए सौदे कई।
पल्लवी गोयल
अनकहे अल्फाज़ों को
हवा में बहने दो।
कुछ अनकही रही थी
वह सुनने दो।
भीनी हवा का रुख
यूँ बहने दो।
अनपहचाने का अक्स
जेहन में तिरने दो।
मिलेंगे उनसे जब
तो पहचानेंगे ।
पहचान पुरानी थी
या कि नयी।
अनदेखी दुनिया में
देखा था जिनको।
मिले जो आज
क्या हैं वही।
पल्लवी गोयल