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रविवार, 5 दिसंबर 2021

आँसू

 


दुनिया के इस रंगमंच पर 

खेले गये अंक कई।


दुख से भरी गाथाओं से

आँसू झर- झर गये कई।


कुछ लोगों  ने देखे केवल

जुड़कर आए साथ कई।


जिन्होंने हाथ बढ़ाए आगे 

बाद में किए सौदे कई।

पल्लवी गोयल

शनिवार, 3 जुलाई 2021

अक्स

 अनकहे अल्फाज़ों  को 

हवा में बहने दो।

कुछ अनकही रही थी

 वह सुनने दो।

भीनी हवा का रुख 

यूँ  बहने दो।

अनपहचाने का अक्स    

 जेहन में  तिरने दो।

मिलेंगे उनसे जब 

 तो पहचानेंगे ।

 पहचान पुरानी थी 

या कि नयी।

अनदेखी  दुनिया में

 देखा था जिनको।

मिले जो आज 

क्या हैं वही।

पल्लवी गोयल