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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

भाव सरिता


आज जो देखा है उनको,
 कल भी था उनको देखा ।
भावों की सरिता में बहते ,
बहते भावों को उनमें देखा ।
चलते चलते कभी न रुकते,
 थमते न उनको देखा ।
हर रोज नदिया उछल- उछल
कर सागर में रमते देखा ।
ऑंखें मेरी टिकी हुई हैं,
 नतमस्तक होता है मन ।
उनकी चाल है स्थिर प्रज्ञा ,
 श्रद्धा सुमन उनको अर्पण।
पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार