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बुधवार, 7 मार्च 2018

मेरे गीत, मेरा संगीत


मेरे  होठों से निकली आह ही
 मेरे गीत हैं

रूह से निकली तान ही
संगीत है।

धड़कनों में बजता एक
साज़ है ।

साँसों की सरगम ही मेरी
आवाज़ है।

नसों में बहती नदिया ही मेरी
चाल है।

पलकों की झपकन ही
लय ताल है।

कहीं देख कोई सकता नहीं
मुझे स्पष्ट ही

पूरी मैं बस दिखती यहीं । 

पल्लवी गोयल 
चित्र साभार गूगल 


14 टिप्‍पणियां:

  1. अंतर मे छुपा दर्द सदा यू ही मुस्काया करता है
    बहने ना देता अश्को को बंद पलक कर देता है ।।
    (बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा)

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  2. वाह्ह्ह...क्या खूब लिखा आपने मन के भावों को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने।
    बहुत सुंदर रचना पल्लवी जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे होठों से निकली आह ही
    मेरे गीत हैं
    सुंदर मन का गीत....

    जवाब देंहटाएं
  4. मन से स्वतः बहता ये गीत बहुत अच्छा लगा प्रिय पल्लवी जी | सस्नेह --

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  5. अत्यंत सुन्दर मनोभाव.
    खूबसूरत शब्दों का संयोजनपल्लवी मैम

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