अनकहे अल्फाज़ों को
हवा में बहने दो।
कुछ अनकही रही थी
वह सुनने दो।
भीनी हवा का रुख
यूँ बहने दो।
अनपहचाने का अक्स
जेहन में तिरने दो।
मिलेंगे उनसे जब
तो पहचानेंगे ।
पहचान पुरानी थी
या कि नयी।
अनदेखी दुनिया में
देखा था जिनको।
मिले जो आज
क्या हैं वही।
पल्लवी गोयल