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रविवार, 5 दिसंबर 2021

आँसू

 


दुनिया के इस रंगमंच पर 

खेले गये अंक कई।


दुख से भरी गाथाओं से

आँसू झर- झर गये कई।


कुछ लोगों  ने देखे केवल

जुड़कर आए साथ कई।


जिन्होंने हाथ बढ़ाए आगे 

बाद में किए सौदे कई।

पल्लवी गोयल

शनिवार, 3 जुलाई 2021

अक्स

 अनकहे अल्फाज़ों  को 

हवा में बहने दो।

कुछ अनकही रही थी

 वह सुनने दो।

भीनी हवा का रुख 

यूँ  बहने दो।

अनपहचाने का अक्स    

 जेहन में  तिरने दो।

मिलेंगे उनसे जब 

 तो पहचानेंगे ।

 पहचान पुरानी थी 

या कि नयी।

अनदेखी  दुनिया में

 देखा था जिनको।

मिले जो आज 

क्या हैं वही।

पल्लवी गोयल 

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

भाव सरिता


आज जो देखा है उनको,
 कल भी था उनको देखा ।
भावों की सरिता में बहते ,
बहते भावों को उनमें देखा ।
चलते चलते कभी न रुकते,
 थमते न उनको देखा ।
हर रोज नदिया उछल- उछल
कर सागर में रमते देखा ।
ऑंखें मेरी टिकी हुई हैं,
 नतमस्तक होता है मन ।
उनकी चाल है स्थिर प्रज्ञा ,
 श्रद्धा सुमन उनको अर्पण।
पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

भूलता ही नहीं


तेरा रूठ जाना,मेरा तुझको मनाना ।
तिरछे से देखना ,फिर खिलखिलाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

तेरा टकटकी लगाना ,मेरा नजरें झुकाना ।
नजरें हटते ही तेरी ,मेरा पलके बिछाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

तेरी याद आना ,फिर पलकों में आना ।
जरा पलटते ही तेरा ,मुझे चौंकाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

पलकों के मूंदते ही आना, उनमें समाना,
 हक जमाना ,हटाए न जाना ।
अब तू भूलता ही नहीं।

पल्लवी गोयल
चित्र yourquote  से साभार 

सोमवार, 4 नवंबर 2019

गंतव्यहीन


एक पत्र था वह 
मेरे अरमानों का 
कुछ बातें थीं 
कुछ  यादें थीं 
कुछ मुलाकातों का 
जिक्र वहीं था
कुछ टूटे का 
काँच वहीं था
कुछ कसमें थीं
 कुछ वादे थे 
टूटे संभले से 
इरादे थे 
कुछ कहे अनकहे
 जुमले थे 
कुछ सुने अनसुने 
किस्से थे
कुछ चोटों का 
मर्म वही था 
कुछ दुखड़ोंका 
गम भी वहीं था 
कुछ आंखों की
 नरमी थी 
कुछ सांसों की 
गर्मी थी
भावों के जाम 
शब्दों में उडेले थे 
लड़खड़ाते इधर-उधर 
फैले थे 
झरना था या
बांध कोई  टूटा
जिधर निकलता 
सब कुछ बदलता 
बेहतर था वह
मेरे पास रहे 
निर्माता के यादों का
 बस साक्षी  बने।

पल्लवी गोयल 
चित्र गूगल से साभार 

गुरुवार, 8 अगस्त 2019

तन्हाई


जिंदगी के
गिलास में 
ये तन्हाई 
जो ढाली  है 
न साकी 
न हमघूँट  कोई 
न ईद 
न दिवाली है 
न आता 
न जाता कोई 
बस मैं  थोड़ी और 
'ये' डाली है
 पीता   ही 
चला  जाता  हूँ। 
न  होता   ये खाली है 

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

गौर करें, फरमाया है -


गौर करें, फरमाया है -
बारिश का यह मौसम
मुझे बड़ा भाया है
आप बताएं क्या आपको
भी यह रास आया है ?

बादलों की रेस ने
मुझे बड़ा हर्षाया है
 जरा नजरें उठाएं
क्या आपको भी
कुछ नजर आया है?

बूँदों के  लहराते नृत्य ने
 मन को भी नचाया है
नृत्य  के इस समारोह ने
आपके मन को क्या बताया है?

झरझर टपटप का बेताला संगीत 
खिड़कियों से गुजर आया है
क्या आपके घर में भी इसने
आपको ऐसे ही तरसाया  है-

गर्म चाय की चुस्कियों  के बीच
ठंडे पानी ने मुझे सिहराया है।
आपका क्या हाल है जनाब
 क्या आपने ये आनंद उठाया है ?

सवालों पर जरा नज़र फिराइए
जवाबों को यहाँ  तुरंत  दोहराइए ।

पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार