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गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

भूलता ही नहीं


तेरा रूठ जाना,मेरा तुझको मनाना ।
तिरछे से देखना ,फिर खिलखिलाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

तेरा टकटकी लगाना ,मेरा नजरें झुकाना ।
नजरें हटते ही तेरी ,मेरा पलके बिछाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

तेरी याद आना ,फिर पलकों में आना ।
जरा पलटते ही तेरा ,मुझे चौंकाना ।
मुझे भूलता ही नहीं ....

पलकों के मूंदते ही आना, उनमें समाना,
 हक जमाना ,हटाए न जाना ।
अब तू भूलता ही नहीं।

पल्लवी गोयल
चित्र yourquote  से साभार 

14 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१४-१२-२०१९ ) को " पूस की ठिठुरती रात "(चर्चा अंक-३५४९) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. कुछ बातें दिल से नहि जातीं ...
    उन्ही को संजो के लिखी सुंदर रचना ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना पसंद करने के लिए आभार आदरणीय दिगम्बर जी ।

      हटाएं
  3. आदरणीया,
    बहुत बहुत धन्यवाद ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. गहरी संवेदना समेटे सुंदर एहसास।
    अप्रतिम लेखन।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूब ...
    अपनी अनुभूतियों को शब्द दिए हैं ... लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है आदरणीय ।रचना पसंद करने के लिए आभार।

      हटाएं
  7. बहुत सुंदर, बहुत भावपूर्ण, हृदय-विजयिनी अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं