कभी रेशम के कुछ धागे बुने
कभी फूलों के कुछ सांचे रचे
नाम तो तेरा कहीं न लिखा था
बुनावट की हर गूँथ पर ,मन
कहता था,यह तेरा था।
पल्लवी गोयल
कभी फूलों के कुछ सांचे रचे
नाम तो तेरा कहीं न लिखा था
बुनावट की हर गूँथ पर ,मन
कहता था,यह तेरा था।
पल्लवी गोयल
जो बात इशारे कहें उन्हें प्रतक्ष क्या कहना ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिखा है ...
प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार दिगम्बर जी ।
हटाएं