नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
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मंगलवार, 5 जून 2018
दर्द
जब दर्द कुछ इतना बढ़ जाए हर इंतहां को पार करता हुआ बस बेइंतहा हो जाए बोल पड़ती हूं मैं भी खुदा से याद कर बनाया था तूने ही मुझे भी हक असबाब तमाम तूने दुनिया को दिए कुछ रोक इधर ताकि मैं भी ठहर सकूं यहीं । पल्लवी गोयल
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