उन आँखों में
तिरता प्रश्न देखकर,
इन आँखों पर
शुबहा होता है!
क्यों ये प्रश्न
पाती हैं वहाँ ?
सब इन्हीं आँखों का
बिछाया धोखा है।
उठते ही जब
ये गिरती हैं।
छिपती हैं,
कहीं खोती हैं।
हलचल होती है,
किसी दिल में।
नादान प्रश्न भेजता
है आँखों में।
अब प्रश्न आया
तो दोष किसका ?
इन आँखों का,
या उन आँखों का ?
आप कहते हैं,
दोष इनका।
अपराधी हैं ये
सन्देश भेजने की।
ये कहती हैं, इस
गुनाह में साथ किसका ?
(चित्र साभार गूगल )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें