जिंदगी है दो चार दिन की
चल खुल के सांस ले ले .
दोस्तों से भर ले दुनिया
दुश्मनों को दोस्त कर ले .
तू भी अच्छा मैं भी अच्छा
फिर हृदय है कौन मैला !
मैल ,धूल धरती पर सजती
देख हृदय में जगह न ले ले .
नफ़रतों की भीड़ में से
चन्द रहमतों को साथ ले ले .
जिंदगी है दो चार दिन की
चल खुल के सांस ले ले .
Bahut achhi aur khoobsurat panktiyan hain maam.aur samay ki mang bhi.👍👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, सुधा मैम
हटाएंवहुत खूब👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर रचना। बहुत ही अच्छी है आपकी यह रचना।
जवाब देंहटाएंआभार जमशेद जी।
हटाएंAap ki ka'yi kavitayen padhieyn. Pallaviji Aap ki abhiveakti ki ek anuthi shali hai.jo aap ko alag pahchaannprapt krsti hai. Congrats
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