हसीन ख्वाब आते हैं
और चले जाते हैं
वास्तविकता के दर्द के परे
ये अपनी ही दुनिया बनाते हैं
स्थितियों का कोई दरवाजा
इन्हें रोक नहीं पाता
दिमाग में झलकती एक
छाया की खुशबू ही पर्याप्त है........
इन्हें अपना धर्म
निभाने देने के लिए
कर्म करते बंद आँखों का
इन्तजार भी इनसे नहीं होता
खुली आंखें भी इस धर्म
का हिस्सा बन जाती हैं
वास्तविकता से एक नाता
इनका अवश्य रहता है
यदि ये दिमाग में रहे तो
बुलबुले से फूट बिखर जाते हैं ,
और कहीं ह्रदय में पहुंचे तो , कभी
हिम श्रृंखला छूने को मज़बूर करते
कभी टेलीफ़ोन हवाई जहाज की शक्ल
में ढल के संसार में बिखर जाते हैं। ......
ख्वाबों की हसीन दुनिया को बहुत ही खुबसुरती से पिरोया है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंDhanyawaad Jyoti ji
हटाएंहसीन ख़्वाबों की यही फ़ितरत है ... पर अगर ये ख़्वाब सच भी हो जाएँ तो सोने पे सुहागा हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंसच कह रहे हैं दिगम्बर जी । धन्यवाद ।
हटाएंसादर ।
खाबोब पर लाजवाब दर्शन !!!!!!!!!! प्रिय पल्लवी जी बहुत अच्छा लिखा आपने |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय रेनू जी ।
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