नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
मंद मंद बयार
पत्तों पर गिरती
इधर उधर घूमती
दूर से आती कहीं
सभी आवाज लगाते
प्रिय! तुम कब आओगे ?
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