नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
आपकी रचना की"जिंदगी केगिलास में ये तन्हाई जो ढाली है"से लेकर"पीता ही चला जाता हूँ। न होता ये खाली है "तक मन की बात लगती है। इंसान की तन्हाई उसी दिन ख़त्म होती है, जिस दिन उसको शत्-प्रतिशत समझने वाला उसे मिल पाता है बहुत प्यारी बिम्ब ...
आदरणीय सुबोध जी,ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।रचना पर इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ ।
वाह बेहतरीन
धन्यवाद अनुराधा जी ।
धन्यवाद महोदया ।
आदरणीय विश्वमोहन जी सादर आभार ।
आदरणीय अनीता जी,रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए सादर आभार ।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/08/2019 की बुलेटिन, "काकोरी कांड के सभी जांबाज क्रांतिकारियों को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद शिवम जी।
वाह सखी बहुत ही गहरी बात, मन का एकाकी पन आखिर ऐसा ही होता है।
प्रिय सखी धन्यवाद ।
एकाकी मन के अहसास की खूबसूरत अभिव्यक्ति।
आदरणीय, प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार ।
ब्लॉग में आपका स्वागत है।
आपकी रचना की
जवाब देंहटाएं"जिंदगी के
गिलास में
ये तन्हाई
जो ढाली है"
से लेकर
"पीता ही
चला जाता हूँ।
न होता ये खाली है "
तक मन की बात लगती है। इंसान की तन्हाई उसी दिन ख़त्म होती है, जिस दिन उसको शत्-प्रतिशत समझने वाला उसे मिल पाता है
बहुत प्यारी बिम्ब ...
आदरणीय सुबोध जी,
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है ।
रचना पर इस सुंदर प्रतिक्रिया के
लिए हृदय से आभारी हूँ ।
वाह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंवाह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदया ।
हटाएंआदरणीय विश्वमोहन जी सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता जी,
जवाब देंहटाएंरचना को चर्चा में स्थान देने के लिए सादर आभार ।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/08/2019 की बुलेटिन, "काकोरी कांड के सभी जांबाज क्रांतिकारियों को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शिवम जी।
हटाएंवाह सखी बहुत ही गहरी बात, मन का एकाकी पन
जवाब देंहटाएंआखिर ऐसा ही होता है।
प्रिय सखी धन्यवाद ।
हटाएंएकाकी मन के अहसास की खूबसूरत अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार ।
हटाएंब्लॉग में आपका स्वागत है।
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