नज़र नहीं आती मुझको ख्वाबों सी वह तस्वीर असलियत में कहीं। अंतर्मन की गाथा कहते ये शब्द ही मेरे अज़ीज़ हैं ........
इक ख्वाब परेशाँ करता है
सच हो जाता तो
क्या अच्छा होता।
दिल के हुए
हज़ार टुकडे
जुड़ जाते तो
न फिक्र किसी
की होती हमको
न दर्द कहीं
पर होता।
सच होता तो क्या अच्छा होता।
पल्लवी गोयल