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गुरुवार, 7 जून 2018

रिश्ता

कभी कभी सोचती  हूँ कि
रिश्ते दूरी से नहीं,
 दिलों से नापे जाते हैं ।

क्योंकि अक्सर एक दरवाजे से
दूसरे दरवाजे तक का सफ़र
तय करने में बरसों गुजर जाते हैं ।

पल्लवी गोयल 

मंगलवार, 5 जून 2018

तेरा

 कभी रेशम के कुछ धागे बुने
कभी फूलों के कुछ सांचे रचे
नाम  तो तेरा कहीं न लिखा था
बुनावट की हर गूँथ पर ,मन
कहता था,यह तेरा था।

पल्लवी गोयल

पुकार


दिल के रोम रोम से
जो तुझे पुकारा है
क्या सुनता है तू
कि तुझे कुछ भी
सुनना गवारा है।

न यहाँ ,न  वहाँ
नज़र आता है तू
सब कहते हैं
तूने ख़ुद को मेरे
पास सॅवारा है।

पल्लवी गोयल 

दर्द


 जब दर्द कुछ 
इतना बढ़ जाए 
हर इंतहां को 
पार  करता हुआ 
बस बेइंतहा हो जाए    
बोल पड़ती हूं 
मैं भी खुदा से 
याद कर बनाया था 
तूने ही मुझे भी 
हक असबाब  तमाम 
तूने दुनिया को दिए   
कुछ रोक इधर 
ताकि मैं भी
ठहर सकूं यहीं ।

पल्लवी गोयल