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मंगलवार, 5 जून 2018

तेरा

 कभी रेशम के कुछ धागे बुने
कभी फूलों के कुछ सांचे रचे
नाम  तो तेरा कहीं न लिखा था
बुनावट की हर गूँथ पर ,मन
कहता था,यह तेरा था।

पल्लवी गोयल

2 टिप्‍पणियां:

  1. जो बात इशारे कहें उन्हें प्रतक्ष क्या कहना ...
    लाजवाब लिखा है ...

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    उत्तर
    1. प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार दिगम्बर जी ।

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