ग्वाल बाल का खेल कन्हैया
गोपियों के वे रास रचैया।
यशोदा और ब्रज के दुलारे ,
नन्द बाबा की आँखों के तारे।
कालिया ,पूतना के उद्धारक
दानव ,कंस वध के कारक ।
.
वही वंशी की तान के नायक
वही शंख के नाद सृजक।
परम उद्धारक गीता के गायक
नीति ,धर्म के कुशल धनिक ।
पांचाली के चीर प्रदायक ,
राधा ,रुक्मणि की घनेरी प्रीत।
घन ,जल,थल ,जन के पालक ,
वही मेरी प्रीत , वही उम्मीद !
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंराधे राधे
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
हटाएंसादर ।
राधे राधे ...
वाह 👏 निशब्द कर दिया आपने.
जवाब देंहटाएंआपके अमूल्य स्नेह लिए सदैव आभारी रही हूँ ,प्यारी सुधा मैम ।
हटाएंसस्नेह आभार ।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १९ मार्च २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
इस प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार है ।
हटाएंसादर ।
बहुत सुंदर....बढिया
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह धन्यवाद,नीतू जी।
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंवाह!!
आभार है आपका आदरणीय सुधा जी
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है , आदरणीय गगन जी । आपकी प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार है ....स्नेह बनाये रखियेगा ।
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