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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

भाव सरिता


आज जो देखा है उनको,
 कल भी था उनको देखा ।
भावों की सरिता में बहते ,
बहते भावों को उनमें देखा ।
चलते चलते कभी न रुकते,
 थमते न उनको देखा ।
हर रोज नदिया उछल- उछल
कर सागर में रमते देखा ।
ऑंखें मेरी टिकी हुई हैं,
 नतमस्तक होता है मन ।
उनकी चाल है स्थिर प्रज्ञा ,
 श्रद्धा सुमन उनको अर्पण।
पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार 

15 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीया।रचना पसंद करने के लिए सादर आभार ।

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  2. उत्तर
    1. आदरणीय ब्लॉग पर आपका स्वागत है। सराहना के लिए आभार।

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  3. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है स्नेह बनाए रखें आदरणीया।

      हटाएं
  4. हर रोज नदिया उछल- उछल
    कर सागर में रमते देखा ।
    ऑंखें मेरी टिकी हुई हैं,
    नतमस्तक होता है मन ----बहुत खूब लिखा है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तर
    1. आदरणीय हर्ष जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है यूँ ही स्नेह बनाए रखिए।

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